Skip to main content

Posts

Showing posts with the label diye jalte hain phoool khilte hain

बड़ी मुश्किल से मगर दुनिया में दोस्त मिलते है...कितना सही कहा था शायर ने किशोर में स्वरों में बसकर

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 167 "फू लों से ख़ूबसूरत कोई नहीं, सागर से गहरा कोई नहीं, अब आप की क्या तारीफ़ करूँ, दोस्ती में आप जैसा प्यारा कोई नहीं"। जी हाँ, आज 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में दोस्त और दोस्ती की बातें। एक अच्छा दोस्त जहाँ एक ओर आप की ज़िंदगी को सफलता में बदल सकता है, वहीं बुरी संगती आदमी को बरबादी की तरफ़ धकेल देती है। इसलिए हर आदमी को अपने दोस्त बहुत सावधानी से चुनने चाहिए। वो बड़े क़िस्मत वाले होते हैं जिन्हे ज़िंदगी में सच्चे दोस्त नसीब होते हैं। कुछ इसी तरह का फ़लसफ़ा आज किशोर दा हमें सुना रहे हैं 'दस रूप ज़िंदगी के और एक आवाज़' के अंतर्गत। "दीये जलते हैं, फूल खिलते हैं, बड़ी मुश्किल से मगर दुनिया में दोस्त मिलते हैं". यूँ तो दोस्ती पर किशोर दा ने कई हिट गीत गाये हैं जैसे कि फ़िल्म 'शोले' में "ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे", फ़िल्म 'दोस्ताना' में "बने चाहे दुश्मन ज़माना हमारा, सलामत रहे दोस्ताना हमारा", फ़िल्म 'याराना' मे "तेरे जैसा यार कहाँ", आदि। लेकिन इन सभी गीतों को पीछे छोड़ देता है फ़िल्म